ख़लिश

“इन सरसराती हवाओं में ज़िन्दगी की ख़लिश है, वाकिफ करा देती हैं जो, उस गुज़रे हुए हर एक पल से। हलकी सीे इस रौशनी में, आग तो अभी भी जल रही है, लेकिन… Continue reading